Meri Kehani
फर्स्ट यियर मे आया मै , था अनजान मेटलर्जी से
सबने खूब बताया मुझको, ब्रांच है गड़बड़ है बेमतलब
मन घबराया हिम्मत छूटी, क्लासेज शुरू और दौड़ी साइकल
क्लासेज थी नीरस टीचर थे गड़बड़
लगने लगा मुझको ये जगह है गड़बड़
तभी शुरू हुई रॅगिंग
सीनियर ने पकड़ा मुझको पूछा हवा क्या है
था अनजान और सहमा हुआ था मै
नही बता पाया हवा का जवाब
सीनियर ने हड़काया और अगले कई सवाल दाग दिया
इंट्रो फ्रीक्वेन्सी नाइंटी इत्यादि शब्द टकराए
समझ मे कुच्छ ना आया
दिल और ज़ोर ज़ोर से घबडाआया
किसी तरेह से मै उस दिन अपने को बचा पाया
रूम पर आया सबको वाक़या बताया
दोस्त ह्से कोड वर्ड का मतलब बतलाया
उसी समय वाद विवाद प्रतियोगिता की घोसड़ा हुई
विसय था आरक्षण
माइक पर पहुचा मै
अर्जुन को ललकारा और ये दोहराया
महोदय समुद्र जब तक शांत है अच्छा है
जब कहर बेरपाता है तो सूनामी जैसे नामों से
विश्वा को हिलाकर रख देता है
प्रसिध हुई ये पंक्ति और मै
नेता जी कहलाया
देखते देखते दो साल बीत गये
कुच्छ मीठे और कुच्छ खट्टे
अनुभव छूट गये
गया मै गर्मियों मे मुंबई
समेर ट्रैनिंग करने महिंद्रा मे
आई आई टी मे रुका और जाता था लोकल ट्रेन मे
एक दिन मै पुणे की गलियों मे घूमा
बाप रे क्या नज़ारा देखा
लड़की आई कई जागेह टैटू गुडवाए
कहा कहा पे ये देख कर
रह गया हक्का बक्का मै
लौट के आया दोस्तों को बताया
सब ह्से खीचाई की मेरी
यार पहली बार था ये सब
मुझ अनजान को समझ मे आया
दुनिया आगे है और मै बहुत पीछे
फिर आया प्लेसमेंट का टाइम
तैयारी शुरू की मैने
आज कल बढ़ गयी था मंदिर मे आना जाना
खरीदने लगा था अब प्रसाद
और लगाने लगा था मन कुछ ज़्यादा
आई पहली कंपनी टी सी एस
सुन के मन घबदाया बढ़ी पल्स
जब सुना राउंड है तीन और पॅकेज भी है तीन
रिजल्ट आया और हुआ मै सेलेक्ट
पहली जॉब थी सो लड़कों ने मारा मुझको
रात भेर सो ना पाया दर्द था जो बहुत
दिन गुज़रे दोस्तों के भी प्लेसमेंट हुए
किसी ने तिकड़म भिड़ाया
तो किसी ने ग्रूप बनाया
मै था इन सबसे अलग कुछ की तरेह
उत्साहित होकेर आगे बढ़ा
और देखते ही देखते एक और टाटा मे हो गया
आज कविता को लिखते हुए
हर पल बिताया गया बी एच यू के वी टी, एच जी और एल सी
मे याद आ रहा है
कैसे करूँ उन पलों को नमन
समझ मे कुछ नही आ रहा है|
Monday, September 22, 2008
Saturday, September 6, 2008
पथ..........
वह पथ क्या पथिक कुशलता क्या
जिस पथ पर काँटे शूल ना हो,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या
जब धारायें प्रतिकूल ना हो |
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नाविक की धैर्य परीक्षा क्या
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