कन्या भ्रूण मार मार पाप करके हज़ार
एक पुत्र पाके आप कैसे इतराते हैं
माता पिता जैसे पाक रिश्ते की डोर तोड़
निर्दोष बेटी के ही कातिल कहाते हैं
तो ज्ञान विज्ञान का ही जो करते प्रयोग व्यर्थ
मानव के रूप मे दानव कहाते हैं
किसी उपकार से प्रसन्न होंगे कैसे भला
प्रभु दें मे भी जो विकल्प ढूड़ लाते हैं
कोई अपवाद होगा चाहता विवाद नही
किंतु कटु सत्या ये बताते चले आए हैं
बेटियाँ सदा से आपके लिए हैं रोती आई
पुत्र सदा आपको रुलाते चले आएँ हैं
बेटा बेटी नही संतान माँगो एक श्रेष्ठ
प्रस्थ इतिहास के बताते चलें आए हैं
जब जब बेटियों को मान भरपूर दिया
इंदिरा लता से रत्ना पाते चले आए हैं
कहतें हैं पुरुषों से वंश बेल समूह
नारी के महत्व को नकार मत दीजिए
नारी तो धारा है जन्मा वेल को यही मिला है
श्रष्टि का ये संतुलन बिगाड़ मत दीजिए
चाहतें हैं कन्या भ्रूण हत्या जैसा पाप मिटे
मानसिक सोच को नये आयाम दीजिए
सारे अधिकार पा रही है जो सशक्त नारी
पिंड दान का भी अधिकार उसे दीजिए |
Tuesday, August 12, 2008
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